तुम्हारा रिश्ता
रूद्राक्ष जैसा है मेरे जीवन में,
धारण हो गया है ह्रदय में
जोग की तरह
ध्यान की दर्शना में
दिये की लौ और धूप के धुएं सा
एकसार हुआ दिखता है,
तुम्हे जानने की उत्कंठा
तुम्हारी गहराई को पाने की खवाइश
इस सबने
मेरे अंदर के सफर को बढ़ा दिया है,
कितनी आकाशगंगा और कितने जन्मों का फासला है
ये योग है या वियोग
राग है या वैराग,
कोई पता नहीं मिलता इसका
सिर्फ इतना अहसास मिला है कि
एक प्राण के दो हिस्से अलग-अलग
जिस्म में रख दिए गए हैं,
सिर्फ तुम्हारे ख्याल की मौजूदगी
इतना तरल व पारदर्शी कर देती है मुझे
कि मेरा अस्तित्व
घनीभूत हो जाता है तुम्हारे साथ
और फिर एकाकार हो जाता है
दूर कहीं बांसुरी की मीठी सी धुन सुनाई देती है,
बहुत दूर किसी फकीर ने अपनी चिलम
सुलगाई है
और बहुत दूर किसी राँझे ने अपनी हीर के
बालों में फूल सजाए हैं
क्षितिज पर सूरज गहरी नींद सो गया है शाम की बाहों में.