Hindi Quote in Poem by Maya

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रात भर बाहों में थी
थोड़ा शरमाई भी नही

मैं खेलता रहा उरोजों से वो संकुचाई भी नही
कभी होंठो को चूसा कभी गालो को काटा

वो महकती रही फूलों सी मुरझाई भी नही
कड़क हो गयी थी घुंडीया वो घबराई भी नही

खिल गई थी कली वो कसमसाई भी नही
तैयार थी वो अपने यौवन को नाम मेरे करने
कम्बख़्त ने जल्दी जल्दी में कुंडी लगाई भी नही

झुक गयी वो खिड़की पे देखने को नज़ारे
बुला रही थी मुझें करके नशीले इशारे

जो छुआ उसकी कोमल सी कली को
संभोग की मस्ती में डूबकर वो छटपटाई भी नही

रस पी गया मेरा भंवरा वो डबडबाई भी नही


आप सब सभी से निवेदन है🙏🙏
गलत ना समझो गलत टिप्पणी या ना करें
-Maya

Hindi Poem by Maya : 111601511
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