Hindi Quote in Poem by વિનોદ. મો. સોલંકી .વ્યોમ.

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दिल में खीली है प्यार की हरियाली;
फिर दिलका एक कोना बंज़र क्युं है?

खीली हुईं है यादों की हसीन वादियाँ;
फिर लगता विराना सा ये मंज़र क्युं है?

मोसम आ गया है बसंत खीलने का;
फिर दिल में छाई हुई पतझड क्युं है?

हर तरफ देखो तो है खुला आसमान;
फिर दिल पर रखा यह पिंजर क्युं है?

घायल कर गई है मुझे तेरी हर अदा;
फिर उठती यह कातिल नज़र क्युं है?

वैसे ही हम मरते है तेरी हर बात पर;
फिर तेरे हाथों में खुला खंजर क्युं है?

Hindi Poem by વિનોદ. મો. સોલંકી .વ્યોમ. : 111601437
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