# दुर्योधन
मसृण हृदय , परंतु जग कहे उसे दुष्ट दुर्योधन
अत्यंत सहायक अपनी श्रीहीन प्रजा के लिए ,
परंतु इतिहास कहलाए उसे दुराचारी दुर्योधन ।
गांधारी का जेष्ठ पुत्र , हस्तिनापुर का राजकुमार
सर्वगुण संपन्न योद्धा होके भी ,
आ गया मामा शकुनि की बातों में हर बार ।
सारथी पुत्र को बनाया अपना मित्र
और दिया उसे भेंट में अंग देश
कोमल हृदय का था दुर्योधन ,
परंतु बातों में आया सबकी हर बार ।
ईर्ष्या और द्वेष घोली शकुनी ने उसके हृदय बारंबार ,
नफरत कर बैठा वो, अपने भाई पांडवों से और हुआ वाचाल ।
महाभारत का युद्ध की लकीर खींची गई
कहकर उसे सूरदास बारंबार ।
शब्द जो कहे उसे हुआ उसका कोमल हृदय घायल हर बार ।
हस्तिनापुर का सिंहासन का उसे उत्तराधिकारी बनाने के लिए ,
बुना शकुनि ने जाल ।
चक्रव्यू से लेकर महाभारत के अंत तक
दुर्योधन बना शकुनी के पासों का वार ।
Deepti