बदलते वक्त के साथ
सब कुछ बदल गया
झुकते थे सजदे में जहाँ
वहाँ वीराने के डेरे हैं
होती थी कभी रौनकें
उस दर पर आज अंधेरे हैं
उदासी से घिरी दीवारें
मायूसी के मेले हैं
सजी हुई महफ़िल में जब
शामें रंगीन होती थीं
नृत्य और संगीत से जहाँ
रातें रौशन होती थीं
ढह गये वो महल ,हवेली
जो आन, बान, शान थे
सजदे में कुर्बान जिनके
सारी दुनिया जहान थे
वक्त से बढ़कर कुछ भी
इसकी अद्भुत मिसाल हैं
आज खड़े हुए है सिर्फ
बीते समय की धरोहर हैं।।
-Sakhi