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करोगे पूजा माँ की तो
माँ प्रसन्न हो जाएगी
करोगे सम्मान नारी का तो
माँ स्वयं चलकर आएगी
मिटा दो भेद अपने मन का
जो हृदय में उपजा है
प्रेम, त्याग साहस के परिवेश में
कोई नारी- सा ना दूजा है
और कितने प्रतिमान रखें अब
इस दुनिया के दरबारों में
कब तक सीता देगी परीक्षा
सच को सच बतलाने में
किसी रावण में इतना जोर नहीं
जो कुटिया से उठा ले नारी को
अब किसी श्राप का इतना शोर नहीं
जो शिला बना दे सुकुमारी को
अब नारी इतनी कमजोर नहीं
जो हार जाए हालातों से
बनकर शक्ति का रूप ये नारी
लिखेगी किस्मत अपने ही हाथों से।।

✍नेहा शर्मा

Hindi Poem by Neha Sharma : 111598143
Neha Sharma 3 year ago

हार्दिक आभार आपका

Santosh Doneria 3 year ago

बहुत ख़ूब! वाह👌👌👌

Neha Sharma 3 year ago

धन्यवाद

Neha Sharma 3 year ago

हार्दिक आभार आपका

Neha Sharma 3 year ago

शुक्रिया आपका

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