हमसफ़र
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ये बहारें ये नज़ारे
ये बारिश की छम-छम
ये बूंदों की रिमझिम,
हसीं तब ही होते
जो इस मौसम में,
दौरान-ए-सफ़र
मेरे हमसफ़र
काश तुम होते!
है तेज़ बहुत ये
धूप वक़्त की,
हंसते मुस्कुराते
हर तपिश सह लेते,
मेरे हमसफ़र
काश तुम होते!
ख़ैर,
ज़िंदगी है तो कटेगी ही
मंज़िल है तो मिलेगी ही,
रास्ते उन्हे भी ख़ुद-ब-ख़ुद
मिल ही जाते हैं, जिनके
कोई राहबर नहीं होते।
सच तो यही है कि
दिल की राहें जुदा है,
न कोई राहबर है
और न हमसफ़र है,
साथ है तो एक मलाल, कि
मेरे हमसफ़र
काश तुम होते!
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-सन्तोष दौनेरिया
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