Hindi Quote in Good Evening by ब्रह्मदत्त उर्फटीटू त्यागी चमरी हापुड़

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सभी श्री राम भक्तों को सभी श्री हनुमान भक्तों को ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़ का शुभ संध्या ""जय श्री राम"" ""जय बजरंगबली हनुमान"" हनुमान बजरंगबली आपसे विनम्र निवेदन है आप सभी अपने भक्तों का कल्याण करें उद्धार करें आप के इस पावन दिन मंगलवार में सभी भक्तजन आपसे इसी विश्वास और आशा से आपकी इस हनुमान चालीसा की स्तुति कर रहे हैं.... "'जय श्री राम"" ""जय बजरंगबली हनुमान""
(यह है आज संध्या की हनुमान चालीसा)
जय श्रीराम।।
॥श्री हनुमान चालीसा।।
।।दोहा।।
श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, हरहुं कलेस बिकास।
॥चौपाई॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिहुँ लोक उजागर।
रामदूत अतुलित बल धामा, अंजनिपुत्र पवनसुत नामा।
महाबीर बिक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी।
कंचन बरन बिराज सुबेसा, कानन कुण्डल कुंचित केसा।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे, कांधे मूंज जनेऊ साजे।
संकर सुवन केसरीनंदन,तेज प्रताप महा जग बंदन।
विद्यावान गुनी अति चातुर, राम काज करिबै को आतुर!
प्रभुचरित्र सुनिबै को रसिया, राम लखन सीता मन बसिया।
सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा, विकट रूपधरि लंक जरावा।
भीम रूप धरि असुर संहारे, रामचंद्र जी के काज संवारे।
लाय संजीवन लखन जियाये, श्री रघुबीर हरषि उर लाये।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई, तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।
सहस बदन तुम्हारो जस गावै, अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।
सनकादिक ब्रह्मादिमुनीसा, नारद सारद सहित अहीसा।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते, कबि कोबिद कहि सके कहां ते।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा, राम मिलाय राजपद दीन्हा।
तुम्हारो मंत्र विभीषन माना, लंकेश्वर भए सब जग जाना।
जुग सहस्त्र जोजन पर भानु, लील्यो ताहि मधुर फल जानू।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं, जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।
दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।
राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसारे।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डरना।
आपन तेज सम्हारो आपै, तीनों लोक हांक ते कांपै।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै, महाबीर जब नाम सुनावै।
नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत वीरा।
संकट तें हनुमान छुड़ावै, मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।
सब पर राम तपस्वी राजा, तिन के काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावे, सोइ अमित जीवन फल पावै।
चारों जुग परताप तुम्हारा, है प्रसिद्ध जगत उजियारा।
साधु संत के तुम रखवारे, असुर निकंदन राम दुलारे।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता, अस बर दीन्ह जानकी माता।
राम रसायन तुम्हरे पासा, सदा रहो रघुपति के दासा।
तुम्हरे भजन राम को पावै, जनम जनम के दुःख बिसरावै।
अंतकाल रघुबर पुर जाई जहां जन्म हरिभक्त कहाई।
और देवता चित्त न धरई, हनुमत सेई सर्व सुख करई।
संकट कटै मिटै सब पीरा जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।
जै जै जै हनुमान गोसाईं कृपा करहुंगुरूदेव की नाईं।
जो सत बार पाठ कर कोई, छूटहि बंदिमहासुख होई।
जो यह पढ़े हनुमान चालीसा, होय सिद्धि साखी गौरीसा।
तुलसीदास सदा हरि चेरा, कीजै नाथ ह्रदय मंह डेरा।
॥दोहा।।
पवनतनय संकट हरन मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप।
सियावर रामचन्द्र की जय।।
ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़

Hindi Good Evening by ब्रह्मदत्त उर्फटीटू त्यागी चमरी हापुड़ : 111595319
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