फिसलकर रह जायेगा
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रेत की तरह , फिसल कर ही रह जायेगा
हाथ में हुनर दिल का, कुछ भी ना आयेगा
बडे इत्मिनान से सपने की तरह देखते रहीए
सुबह आँख खुलते ही, सपना चला ही जायेगा
मौज है जल के बाहर ,भीतर आब ए तमन्ना
साहिल से टकराकर , चकनाचूर हो जायेगा
है प्यासी रेगिस्तान लिबास में अपनी जिंदगी
मृगजळ है छलावा, कब्र तक सफर हो जायेगा
क्या लफ्ज बयाँ करे हुनर ए हकीकत दिल की
ईबादत ओर दुआ , ओर कुछ साथ ना जायेगा
-મોહનભાઈ આનંદ