Hindi Quote in Poem by Manoj kumar shukla

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समसामयिक घटनाओं पर एक रचना 🙏🙏🙏🙏
सजल
समांत -इयाँ
पदांत -
मात्रा भार -26

वासनाओं की हवा से, बढ़ गईं दुश्वारियाँ,
सब जगह फैला प्रदूषण,मर रही हैं लड़कियाँ ।

बांँटते अपराधियों को, दलित जाति मजहबों में,
स्वार्थ का जामा पहनकर, दे रहे रुसवाइयांँ।

लोभ सत्ता का बढ़ा अब, वोट बैंकों पर नजर,
हैं सशंकित मन सभी के, छा रही बेचैनियाँ।

था सरोवर शांँत-निर्मल,साफ सुथरी थी नदी,
बाज कुछ आते कहाँ हैं, शिकार करते मछलियाँ।

प्रेम भाइ-चारे के, हमने गढ़े हैं फलसफे ,
ओझल दिलों से हो रहीं, सद्भाव की कहानियांँ ।

सोचना आता नहीं है,दिग्भ्रमित बस कर रहे,
दशकों से करते रहे, मनचाही नादानियाँ।।

दौड़ने आतुर खड़ा है, आज भारत विश्व में,
जो अँधेरे में खड़े हैं, गढ़ रहे वे आँधियाँ।।

मनोज कुमार शुक्ल "मनोज "
15,अक्टूबर 2020

Hindi Poem by Manoj kumar shukla : 111592724
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