बँध आँखों में , दिदाद ए यार तु ही सनम
खुली आँखों का सपना हसीन तु ही सनम
हरतरफ से दरतरफ ह गया मन क्युं मेरा
मेरे मन के बाहर भीतर, एक तु ही सनम
लफ्ज़ से बयाँ कहाँ ,जजबात की कस्ती में
उफान ही उफान, दरिया दिल तु ही सनम
छु कर चला जाता हसीन हुश्न दिल से मेरे
रंग ए नूर चश्मा , ईबादत मेरी तु ही सनम
हयाति मिट गई जमाने से मेरी यकीनन ही
एक तु मुज में , हयाति मेरी बस तु ही सनम
-મોહનભાઈ આનંદ