मे और मेरे अह्सास
याद क्यों बार बार आती है l
चैन छीनकर जी जलाती है ll
साँस रुक गई है हमारी, जां l
कैद है, बंधी जिंदगानी है ll
बैठ जाता है दिल ख़यालों मे l
फोन पे खबर उसकी आती है ll
जिंदगी बसर हो रही है, वो l
सुकूं के दो पल ले जाती है ll
जीतना जी चाहे सता ले तू l
अंत मे तो बाज़ी हमारी है ll
दर्शिता