आह्वान नव जीवन का
दूर तक फैला अंधेरा,
आस का ना कहीं बसेरा,
सघन तम में जूझते हम,
कदम रह रह जा रहे हैं थम;
दिया प्राण का जल रहा है,
हृदय कंपित हो रहा है,
डूबते मन को मनाए,
कोई तो इस ओर आए;
घोर तिमिर चहुं ओर है,
असत व्याप्त घनघोर है,
है प्रतीक्षा अवसान का,
इस कालिमा के निदान का;
प्राची से अा रही लालिमा,
विलुप्त पल पल कालिमा,
उद्घोष कौन यह कर रहा,
समुदाय जागृत हो रहा;
आह्वान नव जीवन का है,
आह्लाद हर लोचन में है,
नव क्रांति का युग अा गया,
नव चेतना स्वर छा गया;
है प्रतीक्षा किस बात की अब,
है भय तुम्हें किस रात की अब,
कर्तव्य हम सबका यहां पर,
दायित्व हर एक का धरा पर,
जागो कदम तुम भी बढ़ाओ,
इस धरा को तुम सजाओ,
हरे परिधान में हो सुसज्जित,
निर्भयता का तिलक अंकित,
भय मुक्त भाल, गर्वित हृदय हो,
हर मानव जहां पर अभय हो,
ना हो फर्क नर नारी का जहां पर,
हो स्वागत हर शिशु का वहां पर;
ऋचाओं से गुंजित हो नभ अब,
नव ग्रहों पर उतरे हम अब,
स्वतंत्रता का परचम फहरायें,
विश्व बंधुता का गीत गाएं।