जब तक महिला अपराधों को जाति/धर्म/समुदाय के चश्मे से देखा जाता रहेगा। निर्भया, मनीषा और न जाने कितने केसों की पुनरावृत्ति होती ही रहेगी, इन्हें रोकने में कोई भी सरकार कोई भी कानून सक्षम कभी नही हो सकेंगे क्योंकि ऐसे अभियुक्तों, अपराधियो को इनके समाज से समर्थन प्राप्त हो जाता है, जो इन्हें अपराध के बाद भी सबल बना देता है। ये समाज की #तह में छिपे दुर्दान्त अपराधी है जिनका एक ही संज्ञा हो अपराधी।
#एक बार फिर इंसानियत शर्मसार
#तह
-RISHABH PANDEY