सुबह ढल गई फिर कोई बात नहीं हुई,
चाहत के सदमे में बरकत ज्यादा हुई,
रात गिरी फिर कल की बात पर आंधी हुई,
कसूर आया दिल पर सैलाब जैसी तसल्ली हुई,
चांद को देख सितारे की चमक बिछड़ती हुई,
रूह से टूटे हर ख्वाब को आंसू में भिगोती हुई,
जान ए खुदा से बढ़कर भी मुझे मरहम लगाती हुई,
गलती मेरी होने के बावजूद मुजस माफी मांगती हुई,
दिल की आरज़ू को इश्क़ की तमन्ना में डूबती हुई,
नाराजगी को छोड़ मुझे इश्क़ का मतलब समजाती हुई
Dear zindagi