तेरी पनाह मे आया हूँ, क्यूँ की, फ़िराके यार अब गवारा नही हमको, मुजे, तो आप अपने खयालो मे ही रेहने दो, क्यूँ की, ज़हेन~ए~नसीब मे किसी ओर का ख्वाब, अब गवारा नही हमको, में तो आप को अपनी मुकम्मल सी तक़दीर बना चुका हूँ, क्यूँ की इस दिल के सरताज़ पे, किसी ओर का अधिकार, अब गवारा नही हमको।