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मोहोबत तो तुने ही मुझे सिखाई,
और अब बोलती हों की मुज से मोहोबत नहीं हों पाई,
तुमे तुम्हारी सिखाई हुई मोहोबत पे भरोसा हीं है,
की तुम्हारी रूह ऐ बात मान ने को ताईयार नहीं है,
के तुम्हेंबी हे मोहोबत
क्यों तुम खुद को खुद से ही लडवा रही हो,
देख आइने मे नजरे झुका रही हो,
जो अगर नहीं हे तुजे मोहोबत तो बताओ,
पर यू मोबाइल के पीछे छुपाकर क्यों रोरही हो,
मुजे तो हे भरोसा खुद से भी जादा तुम्हारी सिखाई हुई मोहोबत पे,
मेतो बोलताहुं दुनियाके सामने के अब नहीं करपाउंगा तुम्हारे जेसी मोहोबत किसी और से,
मुजे जितना हे भरोसा तुम्हारी सिखाई हुई मोहोबत पर,
कास तुजे भी होता भरोसा अपनी मोहोबत पर।
#SoDh