शनै शनै वक्त के साथ
जब हर बात धुंधली पड़ जाती है
तब भी तेरी याद क्यों आती है
हर गुजरते लम्हें के साथ
सिमटती हैं हर बात
पर तेरी बात बढ़ती जाती है
भूलती हूँ हर बात
तेरी हर बात और गहरा जाती है
क्यों नहीं भूलते तुम
हर वक्त क्यों इतना सताते हो
क्यों बार बात याद आते हो?
-Sakhi