# आज की प्रतियोगिता "
# विषय .गुप्त "
# कविता ***
विधा गुप्त धन ,कहलाती ।
विधा शारदा ,की कृपा से आती ।।
बिना सरस्वती की ,साधना के नहीं आती ।
विधा अनमोल ,खजाना कहलाती ।।
यह खर्च करने ,पर नित बढ़ती रहती ।
इक्कठी करने पर ,धटती रहती ।।
इसलिए सभी धनों में ,बेहतरीन कहलाती ।
इसकी कृपा से धन वैभव ,सुख सम्पदा पल में मिलती ।।
यह मुर्ख को पल ,में बुद्धिमान बनाती ।
इसकी महिमा ,बड़ी निराली होती ।।
इसको पाने तरसते ,सभी ।
पर यह सहज में ,कभी हाथ नहीं आती ।।
गुरु बिना यह पास ,में भी नहीं फटकती ।
यह मेहबान हो तो ,पल में सुख के भंडार खोल देती ।।
-Brijmohan Rana