इसी भाषा में
ग्रंथ भी लिखे गए,
कसीदे भी गढ़े गए,
लोगों ने इसी भाषा में
किया प्रेम
और की तमाम मीठी बातें।
इसी भाषा में
क्रांति के नारे लगे
लोग हक़ के लिए उठे,
और
उठे हुए हुक्मरानों को गिरा दिया।
मुझे ताज्जुब होता है कि
ये सब कुछ समेटे
इस भाषा को
माँ कितनी आसानी से
सीखा देती है बोलना।।