समय का पहिया ,
अपनी गति चलता जाता ।
कितने इतिहास समेटे हुए , आंधी तूफान लपेटे हुए , जीवन को संजोते हुए , नई कोपल फूटते हुए ।
फिर कैसा घबराना , कर्मवीर तू बनता चल ,
अपने पथ पर चलता चल ।
जो आज वर्तमान है , कल भूतकाल बन जायेगा ,
काले अँधेरे को चीरता हुआ , फिर उजला सवेरा आयेगा । परिवर्तन , ही समय है , यही नियति कहती है ।
समय का पहिया , कब रुका है , अपनी गति को पायेगा ।
-vaishnav
#गति