# शुभ दिन
आज शुभ दिन है
क्योंकि आज ही
किसी ने विद्रोह किया था
परम्परा के खिलाफ
शोषण के खिलाफ
और स्वयं अपने खिलाफ।
विद्रोह करना आसान नहीं होता
सालों जब जलती है चिंगारी
अंदर ही अंदर
तब वह ज्वालामुखी बनता है
और फिर उसे तो
विस्फोट करना ही होता है
एक ना एक दिन।
स्वर्ग नरक नहीं है
कहीं आसमानों में
वह यहीं है
इसी पृथ्वी पर।
जहां सबके किए का हिसाब
लगा रहा है कोई चित्रगुप्त
अपने बही खाते में,
उस दिन ,
जिस दिन वह खाता भर जाएगा
वही दिवस होगा
मुक्ति दिवस
शुभ दिवस।
लेकिन जहां से चिंगारी
उठी थी
क्या ज्वालामुखी
उसे न्याय दे पाएगा?
या अपनी अग्नि में
उसे भी जलाएगा?