चल रहा हूँ
चल रहा हूँ
निरंतर पथ पर मैं चल रहा हूँ
एक आवाज़ सुनाई हर वक़्त देती है
थोङा और चल
थोङा और चल
इसे सुनकर हौसला बढता हीं जाता है
भय-भ्रम से मन मुक्त होता हीं जाता है
तन संदल सा सुगंधित होता हीं जाता है
जीवन का लक्ष्य संकल्पित होता हीं जाता है
चलते रहूंगा
चलते रहूंगा
निरंतर पथ पर मैं चलते हीं रहूंगा
क्योंकि
मन मुक्त है
तन सुगंधित है और लक्ष्य संकल्पित है।
#अनंत