गले मे शर्प की माला, हाथ मे रुद्राक्ष की माला, पुरे बदन पे राख की भभुती है लगाई , देवो मे महान, पुरा वीश्व मुजमे है समाया, शक्ती है मेरी पटरानी, और देव गंधर्व नाग मानव ,भुत प्रेत बेताल दानव सब पुजते है मुजे, पशुपति नाथ भी नाम है मेरा, खुद नही जीता एसो आराम की जींदगी पर मागने वाले को निराश नही करता,आदी नाथ शिव शंकर हुं मे बोलो प्रेम से ओम नमः सिवाय ।।