देखा है।
लाभ को लोभ बनते देखा है
अपनों को अपनों से लड़ते देखा है
गैरत तो अब रही नहीं, मैंने उसे भी मरते देखा है ।
ख़ामोशी में भी शोर होते देखा है
किसी दूसरे की क्या अपनों को मुंह मोड़ते देखा है ।
हिस्सा की तलाश में, मां-बाप को छोड़ते देखा है ।
थोड़ी सी जमीन और कागज के चंद नोट के लिए
भाई को भाई से लड़ते देखा है।
सब धोखा है फिर भी परिवार बिखरते देखा है ।
जुल्म है या अपना अधिकार
घर में खड़ी होती दीवार को देखा है
मैंने वो सब देखा, जो शायद सभी ने ना देखा है ।
यह सब खुद के लिए है
या फिर अपने परिवार के लिए
अपनी नजर में मैंने, खुद को मरते देखा है ।
#Arjuna Bunty.
#matrubharti
#worldwide