क्यों तुम बार - बार याद आते हो
जितना दूर जाना चाहूँ तुमसे
तुम उतना ही पास आ जाते हो
कभी हँसाते हो , कभी रुलाते हो
कभी इन होठों पर,
बन मुस्कान छा जाते हो
भूलना चाहूँ तुझको जितना
तुम उतना ही होशोहवास पर
छा जाते हो
न लेना चाहूँ तेरा नाम इस लवों से
तो बन धड़कन धड़क जाते हो
रखना न चाहूँ याद तुझको
तो लेकर नाम मेरा
क्यों मुझे सताते हो
गुनगुना जाते हो हौले से
बनकर साँसों का संगीत
बनकर यादों की बारिश
अपने प्यार से भिगा जाते हो
कितना दूर जाना चाहूँ तुमसे
पर तुम बार बार याद आते हो।।।।
-Sakhi