# विषय .काजल ,अंजन " ** कविता **
कजरारी आँखें ,काजल से सुहानी लगती ।
हर नार काजल की ,दीवानी लगती ।।
काजल बिन आँखों की ,शोभा फिकी सी लगती ।
अंजन बिन नारी ,सुदंरता का खजाना नहीं लगती ।।
काजल भरी आँखें ,पल में दिल लुट लेती ।
हर नारी यह ,अनमोल श्रृंगार करती ।।
काजल से किसी की ,नजर नहीं लगती ।
काजल से नार ,दीवानी सी लगती ।।
हर नार काजल ,लगाने उतावली दिखती ।
काजल लगा कर ,आँखें कजरारी सी लगती ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।