एक आत्मा जो अब इंसाफ चाहती हैं।
जीते जी जो मर गई अब वो जीना चाहती हैं।।
हाँ अब वो इंसाफ चाहती है।।
अपने वजूद के होने का अहसास वो अब करवाना चाहती हैं।
हाँ अब वो इंसाफ चाहती है।।
अपने हर जुर्म का बदला वो लेना चाहती हैं।
हाँ अब वो इंसाफ चाहती है।।
साहिबा सिंह