तोड़ ले जिन्दगी,
और जीतना तू चाहें.....
हम भी टूट कर,
फिर से जुड़ जाएंगें.....
अंधेरो से खेलना,
जुनून हैं हमारा,
हम हर अंधेरे को चीर,
ज़रा ज़रा जगमगाएँगें.....
माना जिन्दगी तुम हो "पहेली",
तेरी हर आज़माइश पें,
दिलों- जान लुटा,
"पहेली" को "सहेली" बनाएंगें......
तुझे लगता हैं,
रूख मोड़ लेंगे,
तन्हाई से डर,
इसी तन्हाई में,
तुझे हम अपना बना,
एक बस तेरे संग "यारी",
हरदम निभाऐंगे....!!!!!
✍✍वर्षा अग्रवाल की क़लम से🙏🙏🙏