देख रहा अपनी खिड़की से रोज कई नज़ारे,
बंद बक्से में लौट रहे भारत माता के दुलारे।
सरहद पर उन जवानों ने कई अरसे थे गुजारे,
होते शहीद लगाए बस "जय हिन्द" के ही नारे।
घरवाले तो रो रोकर परेशान हो गए हैं सारे,
फिर शहादत पर क्यों मौन हो जाती सरकारें।
करगिल विजय दिवस।