# कविता ***
# विषय .खुदा ***
अगर अश्क न , इनमें होते ।
तो आँखें इतनी ,खुबसूरत न होती ।।
जो गम न दिए ,होते जमाने ने ।
तो खूशी की कीमत ,पता न होती ।।
जो बेवफाई न की ,होती यारों ने ।
तो वफा की चाहत ,ही न होती ।।
जो तन्हाई का ,एहसास न होता ।
तो महफिलों में ,रौनक ही
न होती ।।
जो मांगने से ही ,मिल जाती हर मुराद ।
बाखुदा खुदा की ,जरुरत ही न होती ।।
अगर ये नजरों में ,हमें सजा लेतें ।
तो इश्क से कोई ,फरियाद ही न होती ।।
यदि मानवता का साथ ,
तूने निभाया होता ।
तो दोस्त आज तुझसे ,
दिल की कोई फरियाद न होती ।।