# कविता "
# विषय .मुकद्दर **
आकाश के तारें ,कोई गिन नहीं सकता ।
किस्मत में लिखा ,कोई छिन नहीं सकता ।।
अगर तेरी किस्मत में ,लिखी है साधना ।
तो कोई योग उसे ,छीन नहीं सकता ।।
अगर तेरा लक्ष्य हो ,जनहित का ।
तेरे इरादों को ,कोई बदल नहीं सकता ।।
तेरा दुश्मन यहाँ ,कोई नहीं हो ।
तेरे मित्रों को कोई ,गिन नहीं सकता ।।
अगर तुने जीवन ,गंवाया देश हित में ।
तेरा यश कोई ,छीन नहीं सकता ।।
वीरों की यहाँ ,कमी नहीं ।
शहीदों को कोई ,गिन नहीं सकता ।।
जो जांबाज हो ,वो जहां को जीतता ।
कायर कभी ,हौसले कर ही नहीं सकता ।।