किसी के दीदार को तरस रहे हैं हम
इस दिल के करार को तरस रहे हम
बस उनके ऐतबार को तरस रहे हैं हम
उनके एक नजर के वार को तरस रहे हैं हम
उनके इकरार को तरस रहे हैं हम
चेहरे के खिले निखार को तरस रहे हैं हम
बस एक दीदार को तरस रहे हैं हम
मिलने के इंतजार को तरस रहे हैं हम
मौसम के लौटते बहार को तरस रहे हैं हम
उनके होठों से सवाल को तरस रहे हम
एक हां के इंतजार को तरस रहे हैं हम
उनके इजहार को तरस रहे हैं हम
उनके करार को तरस रहे हम
किसी के प्यार को तरस रहे हैं हम ।
किसी के दीदार को तरस रहे हैं हम।।
Arjuna Bunty