निराकारमोंकारमूलं तुरीयं गिराघ्यानगोतीतमीशं गिरीशं गिरीशम् । करालं महाकाल कालं कृपालं गुणागार संसारपारं नतोऽहम् ।। निराकार, ओंकार के मूल, तुरीय (तीनो गुणों से अतीत ), वाणी, ज्ञान और इन्द्रियों से परे, कैलाशपति, विकराल, महाकाल के भी काल, कृपालु, गुणों के धाम, संसार से परे आप परमेश्वर को मैं नमस्कार करता हूँ ।