# कविता ***
# विषय .हंसो "
इस जग में ,किसी के पास हंसने का समय नहीं है ।
हर व्यक्ति गम में ,मुँह फुलाये धुमता है ।।
हंसी ही महकते ,जीवन का राज है ।
हंसी तो कुदरत का ,अनमोल खजाना है ।।
जो हमेशा हंसता ,उसके पास दुःख दर्द कभी नहीं फटकता है ।
नदी हर पल ,कल कल हंसती है ।।
चाँद अपनी सुहानी ,चाँदनी से हंसता है ।
सूर्य अपनी रश्मियों ,से हंसता है ।।
पेड़ अपने पत्ते हिला कर ,हंसते है ।
प्रकृति अपनी निराली ,अदा से हंसती है ।।
फूल हर पल ,खिलते खुशबु के साथ हंसते है ।
हंसी हर दर्द ,की दवा हैं ।।
जो हंसा ,उसका ही धर बसा है ।
हर पल हंसते ,मुस्कराते रहो ।।
सुख में भी हंसो ,दुःख में भी हंसो ।
हंसी जीवन को ,खुशहाल बनाती है ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।