# आज की प्रतियोगिता "
# विषय .धर्मांध "
# छंदमुक्त कविता ***
धर्म हमें धर्मांध ,नहीं सीखाता ।
धर्म हमें मानवता ,ही सीखाता ।।
धर्म के अंधे ,हमें कुर्माग पर ले जाते ।
धर्म हमें भाईचारा ,ही सीखाता ।।
धर्मान्ध लोगों को ,आपस में लड़वाते ।
धर्मगुरु अहिंसा को ,सीखातें ।।
धर्म की आड में ,दानवता शोभा नहीं देता ।
धर्म तो सत्य का ,रास्ता दिखाता ।।
धर्म ही ईश्वर का ,साक्षात्कार करवाता ।
धर्म बिना देश ,महान नहीं बनता ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।