जिसमे स्वार्थ हो वह प्रेम ही कहा मेरे दोस्त,
प्रेम तो केवल एक नि:स्वार्थ भाव से होता है !
नाही जिस्म की लालच और नाही कोई उम्मीद
तेरा कम , मेरा ज़्यादा यह सब तो दूर होने के संकेत है !
यह तेरा कैसा प्रेम जो दुरी से मिट जाये
अरे पगले वह तो प्रेम कम...मोह ज्यादा कहलाता है !
तुझे तो साथ रहने का सौभाग्य भी मिला
मेरे श्याम से पूछो मुमकिन होकर भी ना पाने की पीड़ा क्या होती है !
जो आसानी से मिल जाये उसकी तुझे अहमियत कहा ?
प्यार तो वह है जिसमे ना कोई बंधन और नाही कुछ पाने की लालसा होती है !
anjali..✍️