Hindi Quote in Poem by Ajay Amitabh Suman

Poem quotes are very popular on BitesApp with millions of authors writing small inspirational quotes in Hindi daily and inspiring the readers, you can start writing today and fulfill your life of becoming the quotes writer or poem writer.

शहरीकरण के अंधाधुन दौड़ ने गाँव मे बीतती हुई बचपन के अल्हड़पन को लगभग विलुप्त सा कर दिया है। प्रस्तुत है ग्राम्य जीवन के उन्हीं विलुप्त हुई बचपन के स्वप्निल मधुर स्मृतियों को ताजा करती हुई कविता।

धुप में  छाँव में , गली हर ठांव में ,
थकते कहाँ थे कदम , मिटटी में गाँव में।

बासों की झुरमुट से , गौरैया लुक  छिप के ,
चुर्र चूर्र के फुर्र फुर्र के, डालों पे रुक रुक के।
कोयल की कु कु और , कौए के काँव में ,  
थकते कहाँ थे कदम , मिटटी में गाँव में।

फूलों की कलियाँ झुक , कहती  थी मुझसे कुछ ,
अड़हुल वल्लरियाँ सुन , भौरें की रुन झुन गुन।
उड़ने  को आतुर  पर , रहते थे  पांव में ,
थकते कहाँ थे कदम , मिटटी में गाँव में।

वो सत्तू की लिट्टी और चोखे का स्वाद  ,
आती है भुन्जे की चटनी की जब याद ।
तब दायें ना सूझे कुछ , भाए ना बाँव में ,
थकते कहाँ थे कदम  मिटटी में गाँव में।

बारिश में अईठां और गरई पकड़ना ,
टेंगडा  के काटे  पे  झट से  उछलना ।
कि हड्डा से बिरनी से पड़ते गिराँव में ,
थकते कहाँ थे कदम  मिटटी में गाँव में।

साईकिल को लंगड़ा कर कैंची चलाते ,
जामुन पर दोल्हा और पाती लगाते।
थक कर सुस्ताते फिर बरगद की छाँव में,
थकते कहाँ थे कदम  मिटटी में गाँव में।

गर्मी में मकई की ऊँची मचाने थी,
जाड़े  में घुर को तपती दलाने  थीं।
चीका की कुश्ती , कबड्डी  की दांव में,
थकते कहाँ थे कदम  मिटटी में गाँव में।

सीसम के छाले से तरकुल मिलाकर ,
लाल होठ करते थे पान  सा चबाकर ,
मस्ती क्या छाती थी कागज के नाँव में
थकते कहाँ थे कदम  मिटटी में गाँव में।

रातों को तारों सा जुगनू की टीम टीम वो,
मेढक की टर्र टर्र जब बारिश की रिमझिम हो।
रुन झुन आवाजें क्या झींगुर के झाव में,
थकते कहाँ थे कदम मिटटी में गाँव में।

धुप में  छाँव में , गली हर ठांव में ,
थकते कहाँ थे कदम , मिटटी में गाँव में।

Hindi Poem by Ajay Amitabh Suman : 111514210
New bites

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now