भजन
विषय .प्रभु ..
चन्द दिनों का मेहमान ,तू इस धरा पर ।
कुछ तो अपना भला ,तू कर लें रे ।
गाड़ी बंगले साज समान ,छोड़ कर तू तो ।
प्रभु का एक नाम ,तू जप लें रे ।
कुछ तेरे संग न चलेगा ,एक थेला भी ले न पायेगा ।
तेरे देह जो तू रोज सजाता ,वो भी साथ न चले रे ।
उम्र भर गरीबों को लुटा ,उसके हक की रोटी जो छिनी ।
कभी नहीं दाता को याद किया ,एक बार उसको भज लें रे ।
मेरा मेरा कहता आया ,कोई साथ तेरे न चले रे ।
जग तो एक दीवास्वप्न सा ,आँख खुले सब जाये रे ।
माया मोह के बंधन छोड़ ,अब तो प्रभु को भज लें रे ।
धरती पर तो बहुत उड़ा तू ,अब समी हकीकत जान लें रे ।
कुछ पल प्रभु को दे दे पगले ,अपना भला कर लें रे ।
जीवन भर दुसरों को रुलाया ,अब प्रभु के नाम रो लें रे ।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।