ऐ आने वाले पल!
तुझसे सब यही गुज़ारिश करते हैं
अब और कोई क़हर ना बरसाना
हम साँस लेने से भी अब डरते हैं
बहुत हुआ ये विनाश का खिलवाड़
फिर से उस जीवन को तरसते हैं
तुम जो आने वाले हो तो आशा है
नयी सूबह , नया आगाज़ लाओगे
सब सही कर दे वो बदलाव लाओगे
रोज़ मौत का वो मंज़र देखा है हमने
या ख़ुदा अब ज़िन्दगी देखना चाहते हैं
- अनिता पाठक