वो खुली खिड़की
और खिड़की से झांकती तुम
मै आवारा भवरों सा
हर रोज ताकता तुमको और तकती तुम
जब भी निग़ाहें मिल जाती
तो नज़र चुराती तुम
और जब मां तुम्हारी आवाज़
देती तो जल्दी से भागती तुम
मै इंतजार में वही खड़ा
जब जाने को होता, तब झांकती तुम
न जाने तुमको देख कर कैसे कट जाते थे दिन
मै चाहता था तुम्हे और मुझे चाहती थी तुम
न कुछ तुमसे मै कह पाया और ना कह पाई तुम
जब बारात तुम्हारे घर अाई खूबसूरत दुल्हन थी तुम
मै टेंट और कुर्सियां सजा रहा था और मुस्कुरा रही थी तुम।
मैंने तुमको दिल में बसाया और मुझे भुला दी तुम।
और मुझे भुला दी तुम।
#ArjunaBunty