कोन कहता है कि खून के रिश्ते ही अपने कहलाते है,
जिन्होंने ये कहा है कि अपने अपने होते है और पराये पराये वो गलत हैं।असल में जो रिश्तों को निभाते है वही अपने होते हैं भले कि कोई पराया क्यों न हो। क्यों कि मैने हमेशा अपनो को पराया और परायों को अपना होते हुए देखा है। रिश्ते बोलने से नहीं निभाने से निभते है।