वाह ! तेरी अदा,
कया है गुनाह,
की हो गया में फिदा,
तेरी जुल्फ की अदा,
तेरी मस्ती से कम नही,
ये तेरी त्रिसी नजर,
जब मेरी निगाहों से मिली।
सच में मेरा दिल,
हो गया बेपनाह,
पलको में झुकती
पलको में सवाँरति,
ये तेरी निगाह,
करती है, मुजे पल में घायल।
तू है अंजान,
में हु पागल दीवाना,
बन गया तेरा आशिकाना।
आजा दिलरुबा पास,
मस्ती में डूबना है साथ।
✍️माही