शरीफों को जीने कंहा जीने देते हैं कभी कभी बुरा बन जाना पड़ता है यह जिंदगी है दोस्तों यहां दर्द छुपाकर भी मुस्कराना पड़ता है नहीं है जरूरी किसी के साथ रहने की लेकिन न चाहते हुए भी साथ निभाना पड़ता है जरुरत तो हैं मौत आने की लेकिन क्या करें मजबूरी है जिंदा रहकर ही काम चलाना पड़ता है