#Warm hearted Man never Warn Anybody
My Touching Poem...!!!!
जिस्म संदल, साँस ख़ुशबू, हयात नूर,
आँख तेज़-ओ-तरार-सी हो गयी
प्रभुजी आप में धूल कर रुँह हमारी
बाग़बान-ओ-गुलज़ार-सी हो गयी
नाज़ुक-सी कलाई से कंकड़ ये किसने
फेंका प्यार से गहरी-सी इस झील में
आज फिर से ठहरे हूएँ शांत पानी की
तूफ़ानी मौज़ों में हल-चल-सी हो गयी
वक़्त के मोहताज चाँद 🌓 सूरज ओर
सितारे बना जहाँ तब से चलते चले
जा रहे है एक वक़्तकी मुक़र्रर रफ़्तार
पर मौसमों की चाल बेढंगी हो गयी
चलन इन्सानी-रस्मों-रिवाजोंका बदला
जब से,बंदगी ख़ुद भी बेमानी हो गयी
जी हाँ देता था समंदर तक भी रास्ता
कभी बेशक सच्चे प्रभु-परस्तो को
रवानी तक उसी 🌊समंदर की ही यारों
आज ताराज़गी की सबब हो गयी
काले-सर वाले ने तो चाहा वक़्त को
क़ाबू करे,उम्र पर चंद सालकी हो गयी
हज़ारों साल जो बूढ़े ना होते थे जिस्म
आज अनगिनत मर्ज़की बस्ती हो गयी
प्रभु तूँ ही मसीहा आज की महामारीका
ज़िंदा-संतोंकी दुआ बात पुरानी हो गयी
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