ऐसा नही है परेश ने रोमांस नही किया या उसकी उपेक्षा की। उसने अपना दायित्व ईमानदारी से निभाया। स्वीजरलैंड उनके अंतरंग पलों का गवाह भी बना। बस सब एक काम की तरह था। रीमा यही नही चाहती थी, वह चाहती थी कि प्यार में बेईमानी की जाये, छेड़-छाड़, रूठना-मनाना और बेहिसाब प्यार, जिसकी कोई सीमा ही न हो...बस प्यार करे....अथाह प्यार...और कुछ नही।
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मातृभारती आपके लिये 'एक बूँद इश्क' की दो कड़िया लेकर आ चुका है जिसे आपका अपार स्नेह मिल रहा है