#उन्नति
मुक्त आकाश दिया तो उसने,
उड़ान भरने के लिए तुझे,
पर तू परिन्दे से,
धैर्य तो लेता जाता,
जीने की कला तो सीखता,
अहं की कोई भी परवाज़,
तुझे हताहत न कर दे,
कहीं तुझे तोड़कर न रख दे,
अभी भी वक्त है संभल जा प्यारे,
तेरा आकाश तेरा है,
बस उड़ान भर धैर्य से,
ऊपर उठ, चरित्र से,
दोहरे व्यक्तित्त्व से |
डॉ ० गीता द्विवेदी