*** कविता ***
** विषय .मनमीत **
मनमीत वो ही जो ,दिल खिला दें ।
दिलों के सोए ,अरमांन जगा दें ।।
मुश्किलों में पहाड़ बन ,सा अटल कर दें ।
दिल के आंसू ,सदा पौछ लें ।।
चेहरे पे अनोखी ,मुस्कान सजा दें ।
रोते दिल को ,पल में हंसा दें ।।
कभी कुछ नहीं माँगे ,फर्ज निभा दें ।
सच्ची डगर खुद ,ही दिखा दें ।।
पल में मन की बात ,मीत की समझ लें ।
दोस्ती के वास्ते ,अपनी जान लुटा दें ।।
ऐसे दोस्त भाग्य से ,नशीब होते यारों ।
कहता बृजेश जो कृष्ण की तरह ,सुदामा को अनमोल बना दें ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।