करें क्या...
जब मूंह, केवल थूंकने के लिए ही खुले
दीवारों पर सुविचार नहीं, पर गीलापन हो
रास्तों पर रहबर से ज़्यादा, कूड़े के ढेर
गऊ माता चारा नहीं, कूड़ा प्लास्टिक खाती
स्वच्छता पर ध्यान नहीं, सब प्रशासन के जिम्मे
" गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल, ना बजे!
तो कचरा वहीं सड़ता, जब तक गाड़ी ना आए "
लेकिन करें क्या ?
अरे ज़िम्मेदार नागरिक बन जाओ पहले... बहुत है !
- पंकिल देसाई