भावना की नदी बेह रही है
फिर भी प्यास रूह से खेल रही है
दिल मेरा यूहीं रहेता है खामोश
ऊपर से खंडहर उसे साथ दे रहे है
रहा है मन मेरा बातूनी फिर भी
खामोशी मेरी चुप्पी से खेल रही है
बातें तो बहुत कुछ कहेनी है आपसे
पर निशब्द देखो सन्नाटा पसरा रही है
दिल्लगी मेरी ये जीवन भर की थी
पर याद बनकर वो मेरी रेह रही है
बखूबी ले गए वो चमन की बहार
आंसू की बौछार पीछे छोडे जा रहे है....
Asi..
#વાતોડિયું

Hindi Poem by Asmita Ranpura : 111475864

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